
चातुर्मास समापन पर जैनमुनि ने कहा, अब संकल्प का दिन
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जैन धर्म की परम्परा अनुसार चातुर्मास परिवर्तन
रतलाम। धर्मरति विजय महाराज ने फरमाया कि चातुर्मास परिवर्तन तो हो गया है, लेकिन पूरे चार महीने जिन वाणी का श्रवण कर अपने मन और ह्रदय परिवर्तन करने के संकल्प लेने का दिन है, जो कुछ धर्म का ज्ञान प्राप्त किया है उसे अब आगे आचरण में उतारना है। इसके पूर्व महाराजश्री संघ एवं गुरुदेव शांति नगर बरमेचा निवास पर पहुंचे, जहां आयोजक बरमेचा परिवार द्वारा गवली की गई एवं गुरुजनों की अगवानी की गई ।
जो प्राप्त किया है उसे अब आगे आचरण में उतारना
आराधना भवन पोरवाड़ो के वास पर इस वर्ष चातुर्मास हेतु जुलाई माह में आए धर्मरति विजय महाराज, श्रुतोदय विजय महाराज एवं भाग्यरति विजय महाराज का आगमन हुआ था। पूरे चार महीने जप, तप एवं धर्म आराधना सुन्दर ढंग से सम्पन्न कराई। आराधना भवन ट्रस्ट बोर्ड अध्यक्ष अशोक लुनिया एवं सचिव हिम्मत गेलड़ा ने बताया कि चातुर्मास पूर्ण होने पर जैन धर्म की परम्परा अनुसार गुरुदेव का कार्तिक पूर्णिमा पर चातुर्मास परिवर्तन समारोह सम्पन्न हुआ। इस चातुर्मास परिवर्तन का लाभ कांतिलाल राकेश कुमार बरमेचा परिवार शांति नगर द्वारा लिया गया ।
अमृत जैन ने गुणानुवाद किया गय
इस अवसर पर पूर्व विधायक पारस सकलेचा, ट्रस्टी पप्पूभाई बंबईवाला, विजय मेहता, अमृत जैन, विनोद मूणत, जीवन पितलिया, राजेश गांधी, पारस मूणत, राजेन्द्र लुनिया, आराधना भवन सेवा समिति अध्यक्ष प्रदीप कटारिया, सचिव अमित कोठारी आदि उपस्थित रहे। अमृत जैन ने गुणानुवाद किया गया। संचालन सचिव हिम्मत गेलड़ा ने किया। आभार कांतिलाल बरमेचा ने माना। इस मौके पर साध्वी भगवंत दिव्यप्रज्ञाश्री ने भी निश्रा प्रदान की। बाद में गुरुदेव करमदी तीर्थ पहुंचे, जहां बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबियों ने भगवान आदिनाथ के दर्शन किए एवं आराधना भवन ट्रस्ट बोर्ड, श्री संघ द्वारा भाता वितरण किया गया।