
भरी सभा में गुंजल ने महिला विधायक को बोला था 'दो कौड़ी की महिला', पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी नहीं कर सकी थी इंसाफ
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कोटा के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने सभी सभा में भाजपा महिला विधायक को 'दो कौड़ी की' यह कहकर अपमानित किया था। तब अपनी ही सरकार में उन्हें इंसाफ नहीं मिला।
कोटा. भाजपा विधायक चन्द्रकांता मेघवाल को पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल द्वारा सरकारी बैठक में अपमानित करने का मुकदमा आखिर 18 माह बाद दर्ज हुआ है। एक विधायक को अपमानित करने तथा दो कौड़ी की कहने पर भी मुकदमा दर्ज करने में लम्बा समय लग गया। विधायक की अपनी सरकार में सुनवाई नहीं हुई। आखिर कांग्रेस सरकार के वक्त गुंजल के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है।
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टैगोर हॉल में 12 मई 2018 के जिला स्तरीय समीक्षा बैठक में विधायक मेघवाल व तत्कालीन कोटा उत्तर के विधायक प्रहलाद गुंजल में किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। गुंजल ने आपा खोते हुए मेघवाल को 'दो कौड़ी कीÓ कह दिया था। गुंजल के यह बोल वीडियो में रिकॉर्ड हो गए थे, जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए। अपने अपमान से आहत होकर मेघवाल ने बैठक के अगले ही दिन परिवाद दे दिया था, लेकिन गुंजल के राजनीतिक रसूखात व दबंगई के कारण पुलिस ने परिवाद को रद्दी की ठोकरी में डाल दिया। मेघवाल ने पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक तथा पुलिस महानिदेशक से भी कार्रवाई की गुहार लगाई थी, लेकिन किसी ने भी विधायक की फरियाद तक नहीं सुनी।
मेघवाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से व्यक्तिगत भेंटकर अपने साथ हुए घटनाक्रम की जानकारी देकर गुंजल के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया था, लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हुई। सार्वजनिक अपमान से आहत मेघवाल ने इंसाफ पाने के लिए हिम्मत नहीं छोड़ी और सरकार बदलने के बाद भी लगातार पत्राचार करती रही। आखिर 18 माह बाद पुलिस ने गुंजल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
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मामले को छुपाने में जुटी रही पुलिस
नयापुरा थाने में पुलिस के केन्द्रीय उप अधीक्षक के आदेश पर पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल के खिलाफ मामला दर्ज होने के बावजूद पुलिस के अधिकारी मामले को छुपाने में जुटे रहे। जब इस मामले के बारे में बुधवार रात को नयापुरा थानाधिकारी संजय रॉयल से बात की, तो उन्होंने स्वयं को अवकाश पर बताते हुए मामले के बारे में जानकारी नहीं होने की बात कही। इसके बाद थानाधिकारी ने पुलिसकर्मियों को बुलाकर एफआईआर चेक करवाने की बात कही, लेकिन इसके दो घंटे बाद तक भी थानाधिकारी ने उनके ही थाने में मामला दर्ज होने की पुष्टि नहीं की और मामला दर्ज होने के बारे में जानकारी नहीं होने की बात कहते रहे।
7 नवम्बर को ही दर्ज हो गया था मामला
नयापुरा थाने में 7 नवम्बर को ही उप अधीक्षक के आदेश पर मामला दर्ज हो गया था, लेकिन इसके 13 दिन बीतने के बावजूद पुलिस निरीक्षक को मामले की जानकारी नहीं दी। मामले के बारे में पुलिस ने मामला दर्ज करवाने से पहले फूंक-फूंक कर कदम रखते हुए मामले की जानकारी विशिष्ट लोक अभियोजक से मामले की पूरी जानकारी ली और विधिक राय के आधार पर अक्षरस मामला दर्ज कर लिया।
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एससी/एसटी आयोग मांग रहा था जवाब
विधायक चन्द्रकांता मेघवाल की ओर से मामले की शिकायत मई 2018 में दी गई थी, लेकिन इसके कई माह बाद तक मामला दर्ज नहीं किया गया। पुलिस इसके पीछे गुंजल के उस समय विधायक होने के कारण मामला दर्ज नहीं करने का दावा कर रही है। इधर, एससी/एसटी आयोग मामले में पुलिस ने बार-बार जवाब तलब कर रहा था। ऐसे में गुंजल के चुनाव हारने के बाद पुलिस ने इस मामले में आपराधिक मामला दर्ज कर सीआईडीसीबी को जांच के लिए भेज दिया है।
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