
बंद पड़े इमरजेंसी वार्ड को आईसीयू में तब्दील करने की योजना
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जिला अस्पताल में भारी बदलाव का खाका तैयार, सीएसआर मद से सोलर के लिए करेंगे कंपनियों से अनुरोध
पत्रिका विशेष
धार.
जिला अस्पताल के उद्धार का बीड़ा क्या उठा, अस्पताल प्रबंधन भी एक्शन मोड पर है। बरसों सुस्त बैठे डॉक्टर और सिविल सर्जन भी कलेक्टर श्रीकांत बनोठ की पहल से रोज अस्पताल का चक्कर लगाते नजर आ रहे हैं। शनिवार को राउंड के दौरान सिविल सर्जन डॉ. एमके बौरासी ने बंद पड़े इमरजेंसी वार्ड का ताला खुलवाया तो अंदर रद्दी सामान भरा नजर आया। अब इसे खाली करवाकर यहां आईसीयू वार्ड तैयार करने की योजना है। गौरतलब है कि आईसीसीयू वार्ड में मरीज भर्ती को लेकर कई मर्तबा डॉक्टरों में विवाद हो चुका है, जिसको लेकर अलग से आईसीयू वार्ड की जरूरत महसूस की जा रही थी।
बता दें कि कुछ कई वर्ष पूर्व इमरजेंसी ओपीडी से लगे हुए हॉल को इंरजेंसी वार्ड बनाया गया था। कुछ समय तो इस पर हर डॉक्टर का ध्यान रहा, लेकिन इसके बाद इसे कबाड़ खाना बना दिया गया। वार्ड की साइज बहुत ज्यादा बड़ी तो नहीं, लेकिन लगभग १० पलंग इतने बड़े वार्ड में शौचालय भी अटैच है। इससे इसमें पीओपी करवाकर कुछ सुधार के बाद आसीयू वार्ड बनाया जा सकता है। इसके अलावा इंजेक्शन रूम को भी बदले जाने की योजना है, जिससे लगे कमरे का पार्टिशन हटाकर इसे इमरजेंसी वार्ड बनाया जा सकता है। शनिवार को अस्पताल निरीक्षण के दौरान सिविल सर्जन डॉ. बौरासी के साथ वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संजयसिंह पंवार, डॉ. अनिल वर्मा भी मौजूद रहे।
सीएसआर से सोलर
निरीक्षण के दौरान डॉक्टरों में यह भी चर्चा हुई कि जब कलेक्टर के निर्देशन में अस्पताल का उद्धार हो रहा है तो जिला अस्पताल की छत पर सोलर यूनिट भी लगवाई जा सकती है। इससे बिजली का खर्च भी कम होगा और बिजली बंद होने पर भी मरीजों को परेशानी नहीं होगी। सिविल सर्जन का कहना था कि सोलर के लिए कलेक्टर से अनुरोध करेंगे, जिससे वे किसी कंपनी को सीएसआर मद से यह काम करने का निर्देश दे सकेंगे।